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बाळपणा नै झालौ (Childhood Poem)

Written By Unknown on Tuesday, July 23, 2013 | 10:25 PM

सुण रै म्हारी सखी सहेली,
किती सुखी है आ छोटी सी चिड़कली |

जद मन करै रुंख पै आवै,
जद मन करै आकास में फुर सूं उड़ जावै |

सुण रै म्हारी सखी सहेली,
आज्या चालां आपां भी उड़बा बाळपणा मै |

खावां खाटा-मीठा बोरया, अर काचर-मतिरा
आज्या मौज मनावां कांकड़ मै |

आज्या घर बणावां माटी का, गळीयारा में
खेलां चोपड़ - पासा, तिबारा में |

लै खेलां लुख -मिचणी ओ रयुं
तूं लुख्ज्या म्हूँ तनै हैरुं |

किती सुखी है आ छोटी सी चिड़कली
न तो ब्याह की चिंता, न ही सासरै आणों-जाणों
अर न ही घुंघटो पड़े काढणों |

सुण रै म्हारी सखी सहेली,
चाल बाळपणा नै देवां झालो
आज्या हिंडोळा हिंडा सावण-तिजां मै
अर पूजां ईसर-गौर, गणगौरां मै |

लै आपां गुड्डी बणावां चिरमी-चिप्ल्या की
आज ओळयूं आई पाछी ,पेल्याँ की |

राजुल शेखावत


बाळपणा = बचपन Childhood,,झालो = पुकारना, रुंख = पेड़ tree, बोरया = झाड़ी के बेर,कांकड़ = खेत खलिहान,हिंडोळा = झूले, ओळयूं = याद
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1 comments:

  1. काँई करो हो सा
    !! राम राम सा !!

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